विवाह आदि प्रत्येक शुभ अवसर पर चटपटे मज़ेदार लोकगीतों के बिना भला कैसी रौनक, कैसा आनंद। फिल्मी गीत एक तरफ और हमारी मिट्टी और संस्कृति की खुशबु में रचे-पगे लोकगीत एक तरफ. धमाल मचाने के लिए ढ़ोलक की थाप पर तड़कते भड़कते इस लोकगीत और लोकगीतों पर थिरकती घर परिवार की महिलाएं अलग ही समां बांध देंगी. ऐसा ही एक स्वरचित नया लोकगीत 'बलमवा आवे हिचकी ' लेकर हम प्रस्तुत हैं हमारे ब्लॉग New Folk Lyrics' पर तो आनंद लीज़िये इस चटपटे लोकगीत का....... बलमवा आवे हिचकी किया ना कर हमें याद बलमवा आवे हिचकी तड़पे है जिया हमार बलमवा छूटे सिसकी सपनों में आ कर बैरी लगाए गली की फेरी हाथ जोड़ फरियाद करे झाँके पलकों की खिडकी किया ना कर हमें याद बलमवा आवे हिचकी तड़पे है जिया हमार बलमवा छूटे सिसकी नींदें खराब करे सखियाँ मज़ाक करे आवे लाज हमें काहे बदनाम करे असर ना होवे तनिक तोपे, मारूं झिड़की किया ना कर हमें याद बलमवा आवे हिचकी तड़पे है हमरा जिया बलमवा छूटे सिसकी मैं तो नजर बचा कर चली ही आयी दिल का दामन क्यों मैं...