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कला की देवी मां सरस्वती के चरणों में 'सरस्वती वंदना'

कोई भी सांस्कृतिक कार्यक्रम हो, कला की देवी मां सरस्वती के चरणों में 'सरस्वती वंदना' से ही प्रारंभ होता है. कवि सम्मेलन हो या स्कूल आदि में होने वाले cultural program में प्रारंभ में सरस्वती वंदना अवश्य गायी जाती है़. 

सरस्वती वन्दना ऐसा सांस्कृतिक गीत होता है जिसके द्वारा प्रत्येक कार्यक्रम के प्रारंभ में मां शारदे की स्तुति की जाती है और उनसे आशीर्वाद लिया जाता है. लेखकों, कवियों, विद्यार्थियों और कलाकारों के लिए तो मां सरस्वती ही उनकी अभीष्ट देवी है. मां शारदे से वो बुद्धि, कौशल, निपुणता और सफलता की कामना करते हैं. 

Maa-Sarswati-Ke-Charano-me-Sarswati-Vandana


यहां भी हम इस ब्लॉग को प्रारंभ करते हुए सर्वप्रथम मां सरस्वती के चरणों में यह वंदन गीत (भजन )- सरस्वती वंदना प्रस्तुत कर रहे हैं. आशा है आप को अवश्य पसंद आएगा.  


New Folk Lyrics पर सांस्कृतिक  गीत(cultured song lyrics) के अन्तर्गत  बुद्धि, कला एवं विद्या की देवी माँ सरस्वती के चरणों में एक 

सरस्वती वंदना

तेरा ध्यान आते ही मां, मन निर्मल हो जाए
जगमग एक ज्योति, आलोकित मन कर जाए
तेरा ध्यान आते ही मां मन निर्मल हो जाए

सूने हैं वो हृदय माँ, जिनमें झंकार ना हो
वे जीवन क्या जीवन, जिनमें तेरा प्यार ना हो
वीणा के छेड़ो तार माँ यूूँ जग झंकृत हो जाए
तेरा ध्यान आते ही मां मन निर्मल हो जाए

मानस में उतरती, हो बन कर जब स्वरधारा
प्यासा सा मेरा जीवन, लगता अमृत का प्याला
आभार करूं कैसे मां तेरा शब्द ना मिल पाए
तेरा ध्यान आते ही मां, मन निर्मल हो जाए

आकाश में छिटकी ज्यों, यह चंदा की चांदनी है
मेरे हृदय-नभ में, मां बस तेरी रोशनी है
तेरा धवल रूप माता नयनों में समा जाए
तेरा ध्यान आते ही मां मन निर्मल हो जाए

चिंतन में हमारे मां, सद्भावनाएं झलकें
दुखियों के पथ के मां, हम सब कांटें बीन लें
भटकें ना कभी पथ से वरदान मिल जाये
तेरा ध्यान आते ही मां मन निर्मल हो जाए
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यह मनोरंजक लोकगीत भी पढ़ें 'जीजा साली लोकगीत- संग चलेगी ना साली'

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