हम लेकर आये हैं आपके लिए तड़कता भड़कता जीजा साली लोकगीत... जीजा साली के रिश्ते को भारत में हँसी-मजाक करने का रिश्ता माना जाता है. शादी ब्याह हो या होली का त्यौहार, जीजा साली के बीच की स्वस्थ नोकझोंक पारिवारिक उत्सवों की रौनक बढ़ा देती है. ऐसी ही हँसी मजाक को शब्दों के धागे में पिरोता विवाह आदि या किसी भी शुभ अवसर पर धमाल मचाने के लिए ढ़ोलक पर गाये जाने वाला.... जीजा साली लोकगीत संग चलेगी ना साली संग चलेगी ना साली ज़िज्जा ले जा घर वाली झाड़ो ना यूँ ऐंठदारी भोली ज़िज्जी है हमारी दूँगी मगर मैं गारी मूँच्छां बड्डी तोरी काली संग चलेगी ना साली ज़िज्जा ले जा घर वाली ना कर यूँ जोरा-जोरी ढूूँढू बाँका, मैं बाँकी छोरी मैं ना ज़िज्जी सी अनाड़ी उमर हो भले बाली संग चलेगी ना साली ज़िज्जा ले जा घर वाली लग कल्लू अंग, गौरी काली भई ज़िज्जी मोरी नजरिया ऐसी मारी पलट रंगत डाली संग चलेगी ना साली ज़िज्जा ले जा घर वाली बाप्पू की प्यारी बगिया दी तोकू इक कलिया तू लूटत फुलवारी नीयत तोरी काली संग चलेगी ना साली ज़िज्जा ले जा घर वा...
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