सास बहू और नन्द के रिश्ते पर हमारे देश में बहुत से लोकगीत बने हैं. सास बहू नन्द लोक गीतों को गाकर और उन गीतों पर डांस कर शादी विवाह और अन्य शुभ अवसरों जैसे बच्चे के जन्म, कुआं पूजन आदि पर खूब मनोरंजन किया जाता है.
तो पढ़िये हमारा सास-बहू पर यह मौलिक और नया चटपटा लोक गीत
सासुल कमर लचके
Folk Dance |
New Folk Lyrics पर प्रस्तुत है विवाह आदि अथवा किसी भी उत्सव पर गाकर अथवा नृत्य(Dance) करके धूम मचाने के लिए सास बहू पर लोकगीत के बोल.....
सासुल कमर लचके
कमर लचकेओ सासुल, कमर लचके
हम से आँगन ना बुहारा जाएL
कमर लचके
कमर लचके
ओ सासुल, कमर लचके
जिया धडके, म्हारो जिया धडके
कमर लचके
ओ सासुल, कमर लचके
चार हाथ की नन्दुलिया
क्यों आँगन नाये बुहारे
जैसी तुमको प्यारी सासुल
हम भी अपनी माँ के प्यारे
कैसे दीदे मटके
काहे हमसे अटके
हम से आँगन ना बुहारा जाए
कमर लचके
फूल पात की मै पान्खुरिया
नाजो पाली माँए
बहू काम ना करे
यह सासुल हर पल तू क्यो गाये
काहे बेटा ए सिखलाये
हमे बालम डपटे
काहे हमसे अटके
म्हारो जिया धडके
कमर लचके
ओ सासुल, कमर लचके
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अच्छी रचनाओं के लिए ब्लॉग पत्रिका गृह-स्वामिनी भी पढ़ें
अंजू आप लिखती बहुत अच्छी हो। मुझे तो आपसे जलन होने लगी है।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद. आपका बड़प्पन है यह जो ऐसा कह रही हैं. अपना नाम तो बताइये.
हटाएंReally nice folk song,
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