सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

सास बहू नन्द पर लोकगीत-- सासुल कमर लचके

सास बहू और नन्द  के रिश्ते पर हमारे देश में बहुत से लोकगीत बने हैं. सास बहू नन्द लोक गीतों को गाकर और उन गीतों पर डांस कर शादी विवाह और अन्य शुभ अवसरों जैसे बच्चे के जन्म, कुआं पूजन आदि पर खूब मनोरंजन किया जाता है.

तो पढ़िये हमारा सास-बहू पर यह मौलिक और नया चटपटा लोक गीत

सासुल कमर लचके

Folk Dance at sas bahu folk lyrics
Folk Dance 

New Folk Lyrics पर प्रस्तुत है विवाह आदि अथवा किसी भी उत्सव पर गाकर अथवा नृत्य(Dance) करके धूम मचाने के लिए सास बहू पर लोकगीत  के बोल..... 

सासुल कमर लचके

कमर लचके
ओ सासुल, कमर लचके
हम से आँगन ना बुहारा जाएL
कमर लचके
कमर लचके
ओ सासुल, कमर लचके
जिया धडके, म्हारो जिया धडके
कमर लचके
ओ सासुल, कमर लचके

चार हाथ की नन्दुलिया
क्यों आँगन नाये बुहारे
जैसी तुमको प्यारी सासुल
हम भी अपनी माँ के प्यारे
कैसे दीदे मटके
काहे हमसे अटके
हम से आँगन ना बुहारा जाए
कमर लचके

फूल पात की मै पान्खुरिया
नाजो पाली माँए
बहू काम ना करे
यह सासुल हर पल तू क्यो गाये
काहे बेटा ए सिखलाये
हमे बालम डपटे
काहे हमसे अटके
म्हारो जिया धडके
कमर लचके
ओ सासुल, कमर लचके
----------------------

 अच्छी रचनाओं के लिए ब्लॉग पत्रिका गृह-स्वामिनी भी पढ़ें

टिप्पणियाँ

  1. अंजू आप लिखती बहुत अच्छी हो। मुझे तो आपसे जलन होने लगी है।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. धन्यवाद. आपका बड़प्पन है यह जो ऐसा कह रही हैं. अपना नाम तो बताइये.

      हटाएं

एक टिप्पणी भेजें

Friends, आपकी प्रतिक्रियाएं हमें अच्छी पोस्ट बनाने के लिए प्रोत्साहित करती हैं. अगर आपको पोस्ट पसंद आए तो कमेंट अवश्य करें. धन्यवाद .

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

विवाह गीत| बन्नी। दामाद जी के लिए स्वागत गीत

  विवाह गीत (बन्नी )- बेटी की शादी मैं गाने के लिए. जब द्वार पर बारात आती है तो दामाद जी  के स्वागत में भी ये भावुक सा  बन्नी गीत गाया जा सकता है. यह गीत अवश्य एक भावुक वातावरण बना देगा और हर किसी की आंखों में आंसू जरूर ला देगा. इस गीत में धुन बनाने के लिए जहां रुकना है वहां कोमा(,) लगाया गया है, उस हिसाब से गाने पर धुन अच्छी बनेगी. बीच-बीच में तीन अंंतरे फिल्मी गानों के हैं. गाते-गाते बीच में रुक कर यह फिल्मी अंतरे गाये जाए तो अलग ही समां बंंधेगा.  तो पेश है... बन्नी-  बेटियां कहते, हैं, पराया है धन बेटी के जन्म पर एक जच्चा गीत 1. बेटियां कहते, हैं, पराया है धन रहता सदा, पर, इनमें ही मन सजाया खूब ,  हमने, गुणों से इसे मिलेगा ऐसा, ही वर, सौंपेंगे जिसे आ गए, जिनकी, थी यह धरोहर इन्हीं के, लिए, रखा हमने संजोकर ( वाह वाह रामजी जोड़ी क्या बनाई दूल्हा और दुल्हन को बधाई है बधाई ) दुआ है, यही,  खिले मन-उपवन बेटियां कहते, हैं, पराया है धन रहता सदा, पर, इनमें ही मन बन्ना गीत भी पढ़ें👈 2. पलकें उठा, कर, देखो लाड़ो सजन वैसे ही, है, जैसी तुमको लगन ...

An amazing Banni geet- beti ki Vidai ka geet

आज हम लेकर आये हैं आपके लिए नया amazing   banni geet. ब्लॉग " New Folk Lyrics " पर आप पढ़ते आये है अंजू अग्रवाल द्वारा रचित  चटपटे  ' banna banni geet ' . किन्तु यह नया बन्नी गीत एक vidai geet है.   बेटी के जन्म का जच्चा गीत भी पढ़े  बेटी की विदाई के समय के लिए रचित इस बन्नी विदाई गीत के लिरिक्स हर किसी की आँखों को नम कर देंगे. तो प्रस्तुत है यह Vivah geet.....  बेटी की शादी के लिए विदाई गीत (Vidai geet)..... pinterest  से साभार  कली एक चमन से जुदा हो रही है  चटपटे लोकगीत पढ़े  कली एक चमन से जुदा हो रही है  कि लाड़ो आज, हमारी विदा हो रही है  फूल मन में खिले पर आंखें हैं नम छूटा जाए है आज, मेेरे बाबुल का अंगन  रीति कैसी यह बनायी, जो, अदा हो रही है कि लाड़ो आज, हमारी विदा हो रही है  लाडो मुड़-मुड़ के देखे, बाबुल का अंगना इसी घर में झूूली मैं, ममता का पलना  लाडो गम ना करो तुम, नए घर से जुड़ो  घर- वर ऐसा मिला, प्यार से तुम वरो जिंदगी अब नई,  यह शुरु हो रही है कि लाड़ो आज, हमारी विदा हो रही है कन्...

जीजा साली लोकगीत- संग चलेगी ना साली

हम लेकर आये हैं आपके लिए तड़कता भड़कता  जीजा साली लोकगीत...  जीजा साली  के रिश्ते को भारत में  हँसी-मजाक  करने का रिश्ता माना जाता है. शादी ब्याह हो या होली का त्यौहार, जीजा साली के बीच की स्वस्थ नोकझोंक  पारिवारिक उत्सवों  की रौनक बढ़ा देती है. ऐसी ही हँसी मजाक को शब्दों के धागे में पिरोता विवाह आदि या किसी भी शुभ अवसर पर धमाल मचाने के लिए ढ़ोलक पर गाये जाने वाला.... जीजा साली लोकगीत   संग चलेगी ना साली संग चलेगी ना साली ज़िज्जा ले जा घर वाली झाड़ो ना यूँ ऐंठदारी भोली ज़िज्जी है हमारी दूँगी मगर मैं गारी मूँच्छां बड्डी तोरी काली संग चलेगी ना साली ज़िज्जा ले जा घर वाली ना कर यूँ जोरा-जोरी ढूूँढू बाँका, मैं बाँकी छोरी मैं ना ज़िज्जी सी अनाड़ी उमर हो भले बाली संग चलेगी ना साली ज़िज्जा ले जा घर वाली लग कल्लू अंग, गौरी काली भई ज़िज्जी मोरी नजरिया ऐसी मारी पलट रंगत डाली संग चलेगी ना साली ज़िज्जा ले जा घर वाली बाप्पू की प्यारी बगिया दी तोकू इक  कलिया तू लूटत फुलवारी नीयत तोरी काली संग चलेगी ना साली ज़िज्जा ले जा घर वा...