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अगस्त, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सास बहू नोकझोंक पर हास्य बन्ना गीत

सामान्य जीवन में तो सास बहू के बीच की नोकझोंक बड़ी नकारात्मकता लिए हुए होती है किन्तु ब्याह शादी और अन्य फक्शंस पर सास बहू की नोकझोंक पर बने बन्ना गीत  और लोकगीत हास्य का विषय होते हैं और महिलाओं द्वारा खूब चटकारे ले कर ढ़ोलक पर गाये जाते हैं और मेहमानों का खूब मनोरंजन कर कार्यक्रम की रौनक बढ़ा देते हैं.  पति पत्नी की नोक झोंक पर पढ़िए यह हास्य कविता भारत में विशेष कर उत्तर भारत में विवाह-शादी या अन्य पारिवारिक फंक्शन में दो पक्षों के बीच जैसे लड़के वाले और लड़की वालों के बीच, भात आदि में वर या वधू के मामा-मामी पक्ष और बुआ पक्ष, जीजा-साली नन्द-भाभी और सास और बहू के बीच की मजेदार चटपटी नोकझोंक को लेकर बहुत से हास्य लोकगीत और बन्ना बन्नी गीत लिखे गये हैं. यहां हम सास बहू पर लिखा तड़कता भड़कता बन्ना गीत प्रस्तुत कर रहे हैं... आशा है आपको अवश्य पसंद आएगा. अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दीजिए. सास-बहू के बीच नोकझोंक का हास्य  बन्ना लोकगीत-  बेटा शादी के बाद किसे दोगे कमाई बेटा शादी के बाद, किसे दोगे कमाई किसे दोगे कमाई बेटा बहू को दोगे तो करूं ना सगाई होने वाली सासुल, भोल...

सास बहू नन्द पर लोकगीत-- सासुल कमर लचके

सास बहू और नन्द    के रिश्ते पर हमारे देश में बहुत से लोकगीत बने हैं.  सास बहू नन्द लोक गीतों को गाकर और उन गीतों पर डांस कर शादी विवाह और अन्य शुभ अवसरों जैसे बच्चे के जन्म , कुआं पूजन आदि पर खूब मनोरंजन किया जाता है. तो पढ़िये हमारा सास-बहू पर यह मौलिक और नया चटपटा लोक गीत सासुल कमर लचके Folk Dance  New Folk Lyrics पर प्रस्तुत है विवाह आदि अथवा किसी भी उत्सव पर  गाकर अथवा नृत्य(Dance) करके  धूम मचाने के लिए   सास बहू पर लोकगीत   के बोल.....  सासुल कमर लचके कमर लचके ओ सासुल, कमर लचके हम से आँगन ना बुहारा जाएL कमर लचके कमर लचके ओ सासुल, कमर लचके जिया धडके, म्हारो जिया धडके कमर लचके ओ सासुल, कमर लचके चार हाथ की नन्दुलिया क्यों आँगन नाये बुहारे जैसी तुमको प्यारी सासुल हम भी अपनी माँ के प्यारे कैसे दीदे मटके काहे हमसे अटके हम से आँगन ना बुहारा जाए कमर लचके फूल पात की मै पान्खुरिया नाजो पाली माँए बहू काम ना करे यह सासुल हर पल तू क्यो गाये काहे बेटा ए सिखलाये हमे बालम डपटे काहे हमसे अटके म्हारो जिया धडके कमर ...

बेटी के जन्म के लिए जच्चा- चांद की एक किरण मेरे घर आई है

परिवार में बच्चे के जन्म पर गाये जाने वाले गीत जच्चा कहलाते हैं. घर में बेटी का जन्म होना बड़े सौभाग्य की बात होती है. वह समय अब गया जब बेटियों के होने पर  घर में सबके मुँह लटक जाते थे. कन्या भ्रूण हत्या जैसे मामले भी अब बहुत कम देखने को मिलते हैं. खूब जोरशोर से उत्सव मनाते हैं और जच्चा गीत गाये जााते हैं. बेटियों को लोग अब दुआओं में मांगते हैं.  Jeevan ke rang fashion ke sang  best shopping  मांगे भी क्यों ना? आज बेटियां हर क्षेत्र में माता-पिता का नाम रोशन कर रही हैं. घर की रोशनी होती है बेटी , बिल्कुल चांद की किरण जैसी.... सब चांद सी बेटियों को ध्यान में रख कर ही हमने यह जच्चा गीत लिखा है. आशा है गीत आपको पसन्द आयेगा.  चांद की एक किरण मेरे घर आई है   प्यारी सी बिटिया  यह भी पढ़ें  नारी को परिभाषित करती एक कविता जच्चा  - बच्चे के जन्म पर गाए जाने वाले गीत  ( Childbirth song lyrics)  को कहा जाता है. इन गीतों को सोहर के गीत भी कहा जाता है. यहां हम बेटी के जन्म पर गाए जाने के लिए अंजू अग्रवाल द्वारा रचि...

सावन का गीत- मल्हार| झूला गीत

सावन के महीने में हरियाली तीज का त्यौहार भारत का प्रमुख त्यौहार है. हरियाली तीज पर औरतें झूला झूलती है और भी झूला झूलते हुए सावन के गीत  गाती है. सावन के गीतों को मल्हार भी कहा जाता है. अब तो जगह-जगह क्लब, किटी पार्टियों और संस्थाओं में भी तीज का त्यौहार बहुत उल्लास के साथ मनाया जाता है और सब महिलाएं सुन्दर सुन्दर साड़ी , लहंगे यानि सुन्दर सुन्दर ड्रेसिस पहन कर  इकट्ठे होकर गीत, संगीत, नृत्य  द्वारा बड़े हर्ष और उल्लास के साथ हरियाली तीज का त्योहार सावन के गीत गाते हुए मनाती हैं. इसीलिए हरियाली तीज के शुभ अवसर के लिए हम आपके लिए लाये हैं यह सुन्दर सावन का गीत " सखी हमें सावन ना भावे"  पढें चटपटा लोकगीत आशा है आपको अवश्य पसंद आएगा. अपनी प्रतिक्रिया नीचे कमेंट बॉक्स में अवश्य दीजिए. सावन गीत- सखी हमें सावन ना भावे नटखट बदरी भर-भर गगरी  डाले हम पे नीर बलम हमारे गए विदेशवा हृदय उठे पीर जियरा उमड़ उमड़ के आवे सखी हमें सावन, ना भावे सखियां झूलें  संग सजना के फूले मन हैं दिन खुशियों के हिल मिल झूलें, गावें मल्हारे विरह के मारे नैन हमारे नीर बहावे सखी हमें...

जीजा साली लोकगीत- संग चलेगी ना साली

हम लेकर आये हैं आपके लिए तड़कता भड़कता  जीजा साली लोकगीत...  जीजा साली  के रिश्ते को भारत में  हँसी-मजाक  करने का रिश्ता माना जाता है. शादी ब्याह हो या होली का त्यौहार, जीजा साली के बीच की स्वस्थ नोकझोंक  पारिवारिक उत्सवों  की रौनक बढ़ा देती है. ऐसी ही हँसी मजाक को शब्दों के धागे में पिरोता विवाह आदि या किसी भी शुभ अवसर पर धमाल मचाने के लिए ढ़ोलक पर गाये जाने वाला.... जीजा साली लोकगीत   संग चलेगी ना साली संग चलेगी ना साली ज़िज्जा ले जा घर वाली झाड़ो ना यूँ ऐंठदारी भोली ज़िज्जी है हमारी दूँगी मगर मैं गारी मूँच्छां बड्डी तोरी काली संग चलेगी ना साली ज़िज्जा ले जा घर वाली ना कर यूँ जोरा-जोरी ढूूँढू बाँका, मैं बाँकी छोरी मैं ना ज़िज्जी सी अनाड़ी उमर हो भले बाली संग चलेगी ना साली ज़िज्जा ले जा घर वाली लग कल्लू अंग, गौरी काली भई ज़िज्जी मोरी नजरिया ऐसी मारी पलट रंगत डाली संग चलेगी ना साली ज़िज्जा ले जा घर वाली बाप्पू की प्यारी बगिया दी तोकू इक  कलिया तू लूटत फुलवारी नीयत तोरी काली संग चलेगी ना साली ज़िज्जा ले जा घर वा...