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सृष्टि पर भगवान की कलाकारी| Hindi Poetry

सृष्टि-पर-भगवान-की-कलाकारी इस सृष्टि में तुम ने भगवन कितने रंग बिखेरे हैं हर चेहरे का रूप अलग, भावों के चित्र उकेरे हैं रंगो का व्यापार तुम्हारा, सांचों का बाजार तुम्हारा फूलों के प्रकार कितने, तितलियों के श्रृंगार कितने गंधों का भंडारी तू हर पुष्प अलग सुगंध बिखेरे हैं